Thursday 22 May 2014

Wheelchair becomes success lader

'मुसीबतों से लड़कर ही जीत मिलती है'

अगर दिल में चाहत और मन में लगन हो तो कोई भी मुश्किल सफलता का रास्ता रोक नहीं सकती. स्वरूपनगर निवासी ध्रुव गुप्ता ने भी ऐसी ही लगन की मिसाल पेश की है. ड्यूशन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी लाइलाज बीमारी से पीडि़त धु्रव ने ट्यूजडे को घोषित हुए सीबीएसई के बोर्ड के क्0वीं के नतीजों में भ्.म् सीजीपीए हासिल कर सभी को हैरत में डाल दिया है.

कंप्यूटर इंजीनियर बनने की इच्छा

स्वरूप नगर में रहने वाले बिजनेस मैन हेमंत गुप्ता व उनकी पत्नी संगीता गुप्ता बेटे ध्रुव की इस सफलता पर बेहद खुश हैं. हेमंत का कहना है कि बेटे को गंभीर बीमारी है. जिसको लेकर उसके भविष्य के प्रति हम बहुत आशंकित रहते थे. पर आज उसने दिल जीतने का काम किया है. सर पदमपत सिंहानिया एजूकेशन सेंटर में हाईस्कूल के स्टूडेंट ध्रुव गुप्ता को बचपन से ही मस्कुलर डिसआर्डर की बीमारी थी.

 इस बीमारी में मांस पेशियां समय के साथ धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं. हेमंत ने बताया कि ध्रुव के इलाज के लिए अच्छे से अच्छे स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को दिखया लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. 8 साल की उम्र से ही ध्रुव व्हील चेयर पर जिंदगी जीने को मजबूर है. अपनी सफलता पर ध्रुव का कहना है कि जिंदगी में आने वाली मुसीबतों से लड़ने में ही जीत मिलती है. बड़ा होकर ध्रुव कम्प्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है. साथ ही समाज सेवा में भी काम करना चाहता है. ध्रुव का कहना है कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए संस्था बनाकर काम करना चाहता हूं.

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